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बसंत पंचमी का पर्व प्रतिवर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इसी दिन से बसंत ऋतु का आरंभ होता है, इसी कारणवश से बसंत पंचमी कहते हैं। बसंत पंचमी को देवी सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है।
हिन्दू पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है वास्तव में भारतीय गणना के अनुसार वर्ष भर में पड़ने वाली छः ऋतुओं (बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर) में बसंत को ऋतुराज अर्थात सभी ऋतुओं का राजा माना गया है और बसंत पंचमी के दिन को बसंत ऋतु का आगमन माना जाता है इसलिए बसंत पंचमी ऋतू परिवर्तन का दिन भी है जिस दिन से प्राकृतिक सौन्दर्य निखारना शुरू हो जाता है पेड़ों पर नयी पत्तिया कोपले और कालिया खिलना शुरू हो जाती हैं पूरी प्रकृति एक नवीन ऊर्जा से भर उठती है।
एक मान्यता के अनुसार इस दिन ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल का छिड़काव करके देवी सरस्वती की रचना की। जैसे ही देवी ने वीणा बजाई,उसी क्षण संसार के सभी जीव-जंतुओं को वाणी प्राप्त हुई। तब ब्रह्माजी ने देवी को वाग्देवी, सरस्वती का नाम दिया। इसी कारणवश बसंत पंचमी का दिन मां सरस्वती की आराधना का दिन भी है। वाणी, विद्या, कला, संगीत, प्रेम, सौभाग्य, लेखनी, शिक्षा आदि प्रदान करने वाली मां सरस्वती की आराधना करने से अभीष्ट फल की प्राप्ति होती है।
बसंत पंचमी की तिथि पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व महत्व
तिथि 29 जनवरी 2020
पूजा मुहूर्त 10:45 से 12:35 तक
सरस्वती मंत्र
ऊँ ऐं सरस्वत्यै नमः।
देवी सरस्वती की पूजा के साथ यदि सरस्वती स्त्रोत्र भी पढ़े तो अति उत्तम होगा। ऐसा करने से भगवती सरस्वती की असीम कृपा प्राप्त होती है।
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