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अक्षय तृतीया बैसाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला एक पावन पर्व है ।यह दिन भगवान् श्री हरि और माँ लक्ष्मी को विशेष रूप से समर्पित है। इसके अलावा यह दिन भगवान परशुराम की जयंती और माँ गंगा के धरती पर अवतरण दिवस के रूप में भी मनाया जाता है।
अक्षय तृतीया के दिन किसी भी शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नया व्यापार आरम्भ करने, नया वाहन और आभूषण ख़रीदने आदि सभी के लिये शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि सोना चाँदी, वाहन, प्रॉपर्टी आदि कुछ भी ख़रीदने पर भविष्य में भी उस वस्तु की वृद्धि होती है। यदि यह खरीदना संभव न हो तो अक्षत(चावल) खरीदना भी बहुत शुभ माना जाता है।
इसके साथ ही ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किये गए पूजा पाठ, दान आदि का फल हमेशा बना रहता है उसका कभी क्षय नहीं होता। इसलिए गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना पुण्यकारी माना गया है।
अक्षय तृतीया पर रुपया-पैसे, सोने चाँदी, वस्त्र आदि के अतिरिक्त भोजन, पानी के मटके या सुराही, दही, दूध, अनाज के साथ साथ गुड़ और फल आदि का दान करना विशेष रूप से फलदायी कहा जाता है।
अक्षय तृतीया का दिन केवल पूजा पाठ और दान के लिए ही नहीं बल्कि अपने कर्मों को सही दिशा में प्रोत्साहित करने के लिए भी सर्वोत्तम माना गया है।
भगवान श्री हरि, माँ लक्ष्मी के साथ साथ प्राप्त करें माँ गंगा और भगवान परशुराम की कृपा
भगवान श्री हरि की आराधना भक्त को प्रेमं और भक्ति का वरदान प्राप्त होता है। संकट काल में सही निर्णय लेने की प्रेरणा मिलती है। इसके साथ ही अक्षय तृतीया पर भगवान् कृष्ण के श्रीमद् भगवत गीता के संदेश को हमेशा याद रखना चाहिए कि कर्म करते हुए फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए। इसके साथ ही हमारे कर्म हमेशा ऐसे हो कि हम धर्म के मार्ग पर हमेशा चलते रहें।
माँ लक्ष्मी की पूजा से धन वैभव और समृद्धि की प्राप्ति के साथ साथ भाग्य में भी वृद्धि होती है। धन हमेशा परिश्रम(कर्म)से प्राप्त हो। इसके साथ ही अपने कर्मों में शुद्धता,कृतज्ञता और संयम बरतें ऐसा इस अक्षय तृतीया से अपने जीवन में कर्मों का निर्वहन करें।
हम सभी जानते हैं माँ गंगा हमारे सभी पापों का शुद्धिकरण करती है और आत्मिक शान्ति का वरदान देती है। माँ गंगा की आराधना से आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है। जैसे माँ गंगा सब कुछ शुद्ध करती है उसी प्रकार अपने मन और कर्मों को भी पवित्र बनाएँ ।विनम्रता और सेवा की भावना रखें तभी हमारे सभी पापों का नाश होगा और सही अर्थ में शरीर और आत्मा की शुद्धि होगी।
भगवान् परशुराम की आराधना से मनुष्य को शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है। भगवान् परशुराम हमें शिक्षा देते हैं कि बल के साथ साथ विवेक भी ज़रूरी है। अन्याय के विरुद्ध आवाज़ उठाना और गुरू तथा माता पिता की सेवा करना सर्वोपरि है।
अतः इस अक्षय तृतीया पर इन सभी से प्रार्थना करें कि हमारे कर्मों को सदमार्ग पर अग्रसर करें। साथ ही इस पावन दिन पर अपने जीवन में दान और पुण्य कर्मों को करने की शुरुआत करें।
30th Apr 2025
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