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गणेश चतुर्थी 2020 (Ganesh-Chaturthi): भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी को विनायक चतुर्थी का नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन ही बुद्धि के देवता प्रथम पूज्य गणेश जी का आविर्भाव हुआ था। इसी कारणवश इस दिन पूरे विधि विधान से गणपति जी की आराधना की जाती है। भारत देश के प्रमुख त्योहारों में से गणेश चतुर्थी भी एक है। गणेश उत्सव को वैसे तो समस्त उत्तर भारत में भक्तगण अत्यंत श्रद्धा भाव से मनाते हैं। परंतु यह त्यौहार महाराष्ट्र में खासतौर से बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि गजानन बुद्धि, ज्ञान, विवेक, धन-धान्य, और रिद्धि-सिद्धि के स्वामी हैं अतः उनकी आराधना व पूजा करने से भक्तगण इन सभी अमूल्य निधियों से परिपूर्ण रहते हैं।
गणेश जी प्रथम पूज्य देवता होने के साथ-साथ विघ्नहर्ता और मंगल करता भी हैं। अतः गणेश जी कि पूरे मनोभाव से आराधना करने पर हर कार्य में आने वाले विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं। तथा सदैव मंगल कथा अर्थ शुभ ही होता है। उन को प्रसन्न करने से पूरे वर्ष घर में शुभ प्रभाव रहते हैं इसी कारणवश किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले सर्वप्रथम भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
गजानन का स्वरूप अत्यंत प्रेरणा देने वाला है उनके विशाल स्वरूप से हमें जीवन के तीन आधारभूत सूत्रों की शिक्षा प्राप्त होती है।
1. बुद्धि की विशालता का प्रतीक: गणेश जी का विशाल गजमुख बुद्धि की विशालता का प्रतीक है। बुद्धि के द्वारा ही जगत के सभी कार्य संपन्न किए जाते हैं। इसी कारणवश ईश्वर ने भी बुद्धि को सर्वोपरि माना है।
2. शीतलता का प्रतीक: गणेश जी अपने मस्तक पर चंद्रमा धारण किए हुए हैं। चंद्रमा को शीतलता का प्रतीक माना गया है। जीवन में कठिनाई के समय यदि हम ठंडे दिमाग से अपनी बुद्धि का उपयोग करते हैं, तो हम निश्चय ही सभी कठिनाइयों को पार कर लेते हैं।
3. शांति पूर्वक सुनना: गणेश जी के मुख पर कान और सूंड विशालकाय हैं। जबकि उनका मुंह (होंठ) अपेक्षाकृत बहुत छोटे हैं। इससे हमें यह सीख मिलती है। कि व्यक्ति को परिस्थितियों को सदैव भांप लेना चाहिए। बात तो सभी की शांति पूर्वक सुननी चाहिए, परंतु बोलना कम और सोच समझकर ही बोलना चाहिए।
गणेश चतुर्थी की पूजा का सही अर्थ यही है कि हम बुद्धि को तो सर्वोपरि माने। परंतु इसके बावजूद हमारे कार्य और व्यवहार ऐसे हैं कि हम अपने और दूसरों के जीवन को खुशहाल बना सके। यह तभी संभव है कि हम सदैव अपनी बुद्धि को सृजनात्मक तथा सकारात्मक कार्य में ही लगाएं।
गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल 2 से 10 दिन तक मनाया जाता है। इस वर्ष गणेश चतुर्थी 22 अगस्त 2020 को मनाई जाएगी। इस वर्ष गणेश चतुर्थी के समय सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में होंगे 126 साल बाद यह विशिष्ट संयोग बन रहा है। इस संयोग के गणेश चतुर्थी के समय होने के कारण विभिन्न राशियों के लिए यह अत्यंत मंगलमय एवं शुभ दाई होगा।
गणेश चतुर्थी का विभिन्न राशियों पर प्रभाव निम्न है।
मेष राशि: यह गणेश चतुर्थी मेष राशि वालों के लिए परिवारिक खुशियों के साथ-साथ बच्चों के कारण कोई अच्छी खबर लेकर आएगी।
वृषभ राशि: इस राशि वालों का कोई अटका हुआ काम मित्रों के सहयोग से पूरा होने की संभावना है।
मिथुन राशि: इन राशि वालों को धन प्राप्ति होने के कारण आर्थिक स्थिति मजबूत होने की संभावना है।
कर्क राशि: गणेश चतुर्थी इन राशि वाले अविवाहित युवा और युवतियों के लिए शुभ समाचार लेकर आएगी।
सिंह राशि :इन राशि वालों को कोई विशेष उपलब्धि हासिल होने के साथ-साथ विदेश यात्रा की इच्छा पूरी होने का योग है।
कन्या राशि: कन्या राशि वालों को व्यापार में होने वाले नुकसान की भरपाई होने के साथ-साथ कोई अटका हुआ धन प्राप्त होगा।
तुला राशि :संतान से सुख प्राप्त होने के कारण पारिवारिक वातावरण खुशनुमा होगा।
वृश्चिक राशि: लंबे समय से अटका हुआ कोई काम पूरा होने के कारण आप विशेष प्रसन्नता का अनुभव करेंगे।
धनु राशि : इन राशि वालों को जीवन साथी और अन्य परिवारिक सदस्य का पूर्ण सहयोग तथा सम्मान प्राप्त होगा।
मकर राशि: इन राशि वालों की नई योजनाएं भली-भांति कार्यान्वित होने की संभावना है।
कुंभ राशि: इन राशि वालों के लिए यात्रा का योग बना हुआ है। परंतु अपने स्वास्थ्य का विशेष रूप से ध्यान रखें।
मीन राशि: इन राशि वाले सभी जातकों के लिए नौकरी तथा व्यापार दोनों में उन्नति होने की संभावना है।
गणेश जी की पूजा करना अत्यंत ही सरल है, फिर भी यदि यह पूजा पूरे विधि-विधान और श्रद्धा पूर्वक की जाए तो मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
1- गणेश चतुर्थी के दिन प्रातः काल स्नानादि से निवृत्त होकर गणेश चतुर्थी के व्रत का संकल्प लें।
2- पूजा के उचित मुहूर्त में एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर गणपति जी की मूर्ति या चित्र रखें।
3- मूर्ति या चित्र पर गंगाजल या किसी की पवित्र नदी या सरोवर का जल छिड़कना चाहिए।
4- इसके पश्चात हाथ जोड़कर भगवान गजानन का आवाहन करके, उनसे अपने पूजा स्थान या घर में पधारने की प्रार्थना करनी चाहिए मूर्ति या चित्र
5- गणपति जी के मस्तक पर सिंदूर से टीका लगाएं और लाल पुष्पों की माला पहनाए तथा पुष्प अर्पित करना चाहिए मूर्ति या चित्र
6- भोग प्रसाद के लिए गणेश जी के प्रिय मोदक के लड्डू रखने चाहिए मोदक और लड्डू संख्या में 21 हो तो अति उत्तम है।
7- गणेश जी को दूर्वा अवश्य अर्पित करने चाहिए दूर्वा की संख्या भी 21 हो तो सर्वोत्तम है।
8- गणेश जी की इस प्रकार पूजा अर्चना करते समय गणेश जी के मंत्र का निरंतर जाप करते रहना चाहिए।
9- इसके पश्चात गणेश जी की आरती करनी चाहिए और प्रसाद वितरण करना चाहिए। 5-5 लड्डू तथा दूर्वा भगवान के सम्मुख रखने के पश्चात बाकी प्रसाद का वितरण करना चाहिए।
ॐ गं गणपतए नमः
उपरोक्त मंत्र का जाप गणेश चतुर्थी की पूजा करते समय निरंतर करते रहना चाहिए। ऐसा करने से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
गणेश चतुर्थी को ना करें चंद्र दर्शन
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी अर्थात गणेश चतुर्थी को चंद्रमा के दर्शन नहीं करनी चाहिए। ऐसा करने पर आपको किसी भी प्रकार का कलंक लग सकता है। भगवान कृष्ण के ऐसा करने पर उन्हें कलंक लग गया था। परंतु फिर भी यदि ऐसा हो जाता है, तो प्रातः काल किसी ब्राह्मण को सफेद वस्तुओं का दान अवश्य कर देना चाहिए।
गणेश चतुर्थी 21 अगस्त से रात 11 02 से आरंभ होकर 22 अगस्त 2020 शनिवार के दिन गणेश चतुर्थी शाम 07 57 बजे तक है साथ साथ हस्त नक्षत्र भी 7:10 तक है हमारे प्राचीन शास्त्रों के मुताबिक इस दिन का चौघड़िया का मुहूर्त शुभता प्रदान करने वाला आपको 22 अगस्त को गणपति जी की पूजा करने के लिए दोपहर में 2 घंटे 36 मिनट का समय मिल रहा है आप दिन में 11:06 से दोपहर 1:42 के बीच गणपति जी की पूजा कर ले।
गणपति स्थापना इस दिन शुभ मुहूर्त में लोग अपने अपने घरों में विघ्नहर्ता गणपति जी का आगमन कराते हैं। अपने गणपति की मूर्तियां स्थापित करते हैं विधि विधान से पूजा करते हैं। हालांकि करोना कॉल की वजह से सार्वजनिक जगहों पर गणपति स्थापना की मनाई है। अतः आप अपने घर पर ही गणपति जी की स्थापना करें।
विशेष वैसे तो भक्तगण गणेशोत्सव को 2 से 10 दिन तक बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। जगह-जगह गणेश उत्सव के लिए मंडप तथा पंडाल सजाए जाते हैं। 10 दिनों तक गणपति महाराज की पूजा करने के बाद उनका विसर्जन किसी पवित्र नदी, सरोवर या तालाब में किया जाता है। इस वर्ष कोरोना संकट के कारण ऐसा करना संभव नहीं है। अतः आप सभी भक्त गण गणेश उत्सव पूरे भक्ति भाव तथा श्रद्धा से अपने घर ही मनाएं। तथा गणपति जी का विसर्जन भी अपने घर में ही विभिन्न विधियों तथा तरीकों से करें।
आप को गणेश चतुर्थी की बहुत - बहुत शुभ कामनाऐ। इस लेख को शेयर करना ना भूले।
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