रत्न क्यों है महत्वपूर्ण

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  • 17th Feb 2020

रत्न क्यों है महत्वपूर्ण

रत्न क्यों है महत्वपूर्ण

रत्न बहुत महत्वपूर्ण है इनमे अद्द्भुत शक्ति होती है, रत्नो मे बहुत ताकत होती है, जो इंसान को अर्श से फर्श पर और आसानी से किसी को भी फर्श से अर्श तक पहुचा सकते है। पर शर्त ये है कि आपने सही रत्न पहना हो और आपको suit करता हो। रत्न आखिर क्यो पहंनते है, और कौन, कौनसा रत्न पह्न सकता है। रत्न हमेशा किसी अच्छे ज्योतिष से कुंडली दिखा कर ही पहनना चाहिए। जब कोई ग्रह कुन्डली मे अच्छा हो कर फल न दे रहा हो तो उसको बलवान करने के लिए रत्नो को पहनना चाहिए और जिस का कारक कोई ग्रह हो और उससे जुडा कुछ जीवन मे पाना हो तब भी यही रत्न उसको पाने मे मदद करते है। सभी रत्न खास है, आइए जाने क्या कहते हमारे नवरत्न्।

माणिक्य: इसका रंग लाल होता है, यह सुर्य के लिए पहना जाता है, इसमे allmunium oxide मुख्या तत्व होता है। इसको पहनने से ओज, आत्मबल बढता है, हड्डियो की कमजोरी दुर करता है, त्वचा की परेशानी ठीक होती है, आँखो की परेशानी दुर होती है, चेहरे मे तेज आता है, शरिर मे ताकत आती है, आलस दूर होता है, मान सम्मान व प्रतिष्ठा बढती है, सरकारी नौकरी मे फायदा होता है, सरकार द्वारा उच्च पद की प्राप्ति मिलती है, इच्छा शक्ति बढती है, आत्मविश्वास आता है। अगर कुंड्ली मे सुर्य परिवार के भाव २ व ४ भाव मे हो तो ये न पहने क्योंकि ये परिवार व घर सम्बंधी परेशानी देता है, सुख मे कमी करता है, और ६, ८, १२ भाव का स्वामी हो ३ ७ ८ भाव मे सुर्य बैठा हो या नीच का हो तब भी यह नही पहनना चाहिए। हाथ मे सुर्य पर्वत पर कटी व तिरछी रेखा हो तिल हो या धब्बा हो तो ये रत्न पहन सकते है, सुर्य १, २, ५, ९, १०, ११ भाव का स्वामी हो तब यह रत्न पहन सकते है। और अगर आपको पहले से ही या इसको पहनने से गुस्सा अधिक बढ जाए, लीवर मे परेशानी आए, अवसाद होने लगे, बाल झडने लगे, त्वचा की कोई परेशानी हो, सिर मे दर्द होने लगे, कटु वचन बोलते हो, बातो मे कटाक्ष हो, बडे बजुर्ग की सेवा न करते हो, तो यह रत्न न पहने, नही तो मान प्रतिष्ठा की हाँनि होगी, आपके रिश्ते बिगड्ने लगेंगे, अहम घमंड आने लगेगा, मुँह सुखने लगता है या बात करते हुए मुँह से थूक आने लगती है, और आपके ही गलत बोलने से आपको ही नुकसान होता है। तो कोशिश करे की इस रत्न से दुर रहे।

मोती: इसका रंग सफेद दुधिया होता है, यह चंद्र्मा का रत्न होता है, मोती एक natural thing है, स्वाति नक्षत्र मे एक बूंद सीप मे गिरती है जिससे मोती बनता है। इसको धारण करने से शरीर मे calcium carbonate की शक्ति आती है, brain cells को ताकत मिलती है, जिस वजह से neuro chemicals activate है,जिससे शरीर व मस्तिष्क को शांत करता है, गुस्सा कम होता है, एकाग्रता बढती है। मन व विचारो मे नियंत्रण होता है, पागलपन व अवसाद दुर करता है, इच्छा शक्ति बढती है। परंतु मोती को भी अच्छे ज्योतिष से कुंडली दिखा कर पहननी चाहिए ये नही की गुस्सा आए तो मोती पहन लो, मन भटक रहा है तो मोती पहन लो, नही। जब तक सही देख परख कर कोई कहे न तो नही धारण करना चाहिए। ये मत सोचो की हर ग्रह या हर रत्न फायदा ही देता है, नुकसान भी कर सकता है, किसी भी ग्रह को अधिक या कम ताकत नही देनी चाहिए, अति हर चीज की बुरी होती है। चंद्रमा ३,६,८,१२ का स्वामी हो या नीच का हो या तो मोती नही पहनना चाहिए । मोती suitable न कर रहा हो तो शरीर मे रसायन की कमी होगी तो नुकसान होगा, अधिकता होगी तो नुकसान होगा, मोती पहनने से सीधा असर मन पर, विचार पर, विचार का सीधा सम्बंध मस्तिष्क मे होता है, और जिससे हारमोनस डिसआड्र्र होंगे। जल तत्व बढ गया तो कफ बढ जाएगा। इसलिए सोच समझ कर मोती पहनना चाहिए। लग्न से चंद्रमा १ भाव मे, २, ४, ५, ७, ९, १०,११ भाव मे हो तो बहुत अच्छा है, बाकी फिर भी कुंडली देख कर पहंने। बच्चे का पढाई मे मन लगेगा, डिप्रेशन व माईग्रेन मे आराम आता है, बच्चो का मन मजबूत होता है, जरा जरा सी बात पर मन को बात लग जाना या सोचते ही रहना, या छोटी सी बात पर रोने लग जाना और नकारात्मकता भी दुर होती है।

पन्ना: पन्ना हरे रंग का होता है, यह बुध के लिए पहना जाता है, दिमाग व स्मरण शक्ति को तेज करता है, ये एक ठोस पत्थर होता है, इसको पहनने से शिक्षा, ज्ञान, स्मरण शक्ति व व्यापार करने की बुद्धि आती है, बच्चो को पढा हुआ याद रहता है, पढाई मे रुचि रहती है, डिबेट, धैर्य, हिम्मत, बात करने का तरीका, लेखन कार्य, कक्षा मे टीचर की बात जल्दी समझ आती है, बुद्धि को तेज करता है, नर्वस सिस्ट्म ठीक करता है, ड्बल माईण्डेड हो तो भी ठीक करता है। पर पहने कैसे ये एक ज्योतिष ही बता सकता है। अगर बुध ३,६,८,१२ का स्वामी हो नीच का हो, तो न पहने और जो लोफ दुसरो की बुराई करते हो, षड्यंत्र करते हो, जिनका सामान जल्दी जल्दी चोरी हो जाता हो, कलह की आदत, झुठ बोलने की आदत, सकिन की परेशानी होती है, तो ये लोग पन्ना न पहने। कुंडली मे बुध अस्त हो तो भी सोच समझ कर पहने। जो लोग टीचर, ज्योतिष, councellor, debator, comedian, accountant, mathmaticianहो तो जरुर धारण करे। जिनको नाक कान गले की समस्या हो या हकला कर बोलते हो वह भी जरुर धारण करे। अगर आपको कोई भी फैसला लेने मे दर लगता है या पढा हुआ याद नही रहता, आप सामान रख कर भूल जाते है, हिसाब किताब याद नही रहता तो पन्ना आपकी मदद करेगा।

मूगा: यह लाल रंग का रत्न है, जो मंगल के लिए पहना जाता है, यह समुंद्र के नीचे मिलता है। मूगा लाल के साथ सफेद व पीला भी होता है, ये आकार मे आयताकार व तिकोना होता है, आयताकार मूंगा मंगल के प्रभाव को बढाता है, व तिकोना मूंगा मंगल को बली करता है। मूंगा मे calcium corbonate बहुत ज्यादा होता है, जो शरीर को बैलेंस करता है। मूंगा पहनने से गुस्सा कम आता है, शक व वहम दुर करता है, मानसिक सिथती सही करता है। यदि मूंगा आपको सुट करे तो आपको खून की कोई परेशानी हो तो वह ठीक हो जाती है, रक्त चाप का कोई रोग हो वह भी ठीक होता है, भाई से कोई विवाद या सम्पत्ति का कोई झगडा हो तो वह भी सुलझ जाता है, हड्डियो की कोई बीमारी हो तो वह भी ठीक करता है। अगर आपको मूंगा suit न करता हो, तो खून की कोई न कोई बीमारी लगी रहेगी और गुस्सा भी अधिक आएगा, त्वचा की भी एलर्जी हो सकती है, विवाहित जीवन मे परेशानी लाएगा, आपकी वाणी कटु हो जाएगी, बहन भाई से झगडा करवाएगा, जमीन मे विवाद होगा, धुप धुए से परेशानी होगी। मंगल यदि ७,८,२,३ भाव मे हो या ८,१२ भाव का स्वामी हो या नीच का हो तो मूंगा न पहने। नही तो दुर्घटना का शिकार भी हो सकते है, और विवाहित जीवन मे समस्या खडी कर देगा। मंगल १,३,७,९,१० भाव का स्वामी हो तो मूंगा आपके लिए आत्म विश्वास बढाता है, आप जल्दी रो पढते है या जरा सी बात आपको परेशान करती हो या आपको किसी से बात करने मे डर लगता हो तो वह भी ठीक होगी।

पुख्रराज: यह पुखराज पीले रंग का होता है जो बृहस्पति के लिए पहना जाता है,इसमे alluminium, फलोरियन, सिलिकेट होता है, जो दिमाग को ताकत देता है। पढाई मे गम्भीरता आती है, मन लगता है, मन शांत होता है, सोच समझ कर विवेक से काम करते है, निर्णय लेने की क्षमता बढती है, ज्ञान की, बुदधि की कमी दुर होती है, लीवर ठीक रह्ता है, विवाह न हो रहा हो या विवाहित जीवन मे परेशानी आ रही हो, संतान सुख मे समस्या हो तो, स्वास्थय की कोई परेशानी हो तो भी पुखराज मदद करता है, सामाजिक जीवन मे मान प्रतिषठा लाता है। किसी भी रत्न को अच्छे से विश्लेशण के बिना नही पहनना चाहिए अच्छे ज्योतिष से कुंड्ली दिखा कर ही पहने। नही तो नुकसान भी हो सकता है, पुखराज सुट न करे तो आपको मोटापा आ सकता है, लीवर से जुडी कोई समस्या आपको परेशान कर सकती है, दुर्भाग्य भी आ सकता है,संतान से दुरी, विवाहित जीवन मे सुख की कमी देता है। बृहस्पति धन का भी कारक है अगर सही पुखराज पहना जाए तो धन की कभी कमी नही होती। कुंडली मे गुरु ३,६,८,१२, भाव कास्वामी हो या नीच का हो तो पुखराज न पहने। गुरु अच्छा हो पर फल देने मे सक्षम न हो तो पुखराज पहना जाता है। अगर आप का गुरु १, २, ४,५,७,९,१०,११ भाव मे हो पर जो भाव पहले बताए है उनका सवामी न हो तो आप पुखराज पहन सकते है, हाथ मे गुरु पर्वत देखे ज्यादा उठा या ज्यादा दबा हो तो पुखराज न पहने। गुरु की दशा चल रही हो और पुखराज अच्छे भाव कास्वामी हो तो जल्दी फल देता है।

नीलम: यह रत्न नीले रंग का रत्न होता है, जो शनि ग्रह के लिय धारण किया जाता है, नीलम एक ऐसा रत्न है जो बहुत सोच समझ कर और जाँच परख कर पहनना चाहिए, नही तो फायदे की जगह नुकसान भी कर सकता है, नीलम जातक को अर्श से फर्श पर ला सकता है तो वही सुट कर जाए तो फर्श से अर्श पर भी ले आता है बस आपको अच्छे ज्योतिश से दिखा कर ही पहने। यह रत्न शनि की तरह लम्बे समय तक फलदायक देता है। इसमे बिगाड्ने व बनाने दोनो की शकित होती है। नीलम से बहुत से लोग डरते है इसलिए सही जाँच के बाद ही धारण करे। रत्न प्रकृति से किरणे ले कर रत्न कि माध्यम से ह्मारे शरीर मे अवशोषित करती है जिससे हमे रत्न द्वारा फायद मिलता है। सभी रत्न मे कार्बन होता है, जिसका प्रभाव हमारे दीमाग पर पडता है। नीलम पहनने से शांति मिलती है, व्यवहार को बेहतर करता है,दीमाग मे तेजी आती है, आलस दुर होता है, खोज करनी हो या कुशलता लानी हो, दुर द्रृश्टि चाहिए या बहुत सोच कर कोई काम करते हो पर सोच आपका साथ न दे और आप बार भट्क रहे हो, निर्णय न ले पा रहे हो तो नीलम धारण करे। लोग कार्य स्थान पर आपका फायदा उठा रहे हो या आपको दबा रहे हो, बच्चो को पढाई मे परेशानी आ रही हो, मेधावी बनना चाहते हो, अच्छा व्यापारी बनना हो, शेयर बाजार मे फायदा लेना हो तो नीलम धारण कर सक्ते है, पर किसी को दिखा कर अच्छा रत्न ही पहने। नीलम सुट न करे तो बुद्धि खराब भी कर सक्ता है, नशे मे पैसा बर्बाद करना, जुए सट्टा मे जाना, कंगाली तक आ जाती है, वाणी मे ऐसा दोष लाता है कि लोग आपसे दुर भागते है और विश्वास तक नही करते। अगर शनि कुंडली मे २,९,१०,११ भाव मे हो तो व्यापार मे अच्छा दिमाग देता है। शनि ६,८,१२ भाव का स्वामी हो या नीच का हो तो नीलम न पहने। अगर आप मेहनती है तो नीलम आपको रास आएगा, नीलम आलसी लोगो के लिए नही है।

गोमेद: गोमेद यह रत्न धुए के रंग के समान होता है जो राहु के लिए पहना जाता है, ह्ल्के शहद की तरह होता है! राहु एक पापी ग्रह है परंतु इसका रत्न रास आ जाए तो इंसान को वो मिलता है जो उसने कभी सोचा भी नहीं होगा,इसको पहनने के बाद काम बनने लग जाते है! अगर आप की बुद्धि भ्रमित रहती है या आप बिना सोचे समझे बोलते है वहम या शक है काम में निर्णय नहीं ले पाते, आपको जल्दी समझ नहीं आता तो आप गोमेद धारण करे! बाकी जिस भाव में राहु हो उसके कारकत्व भी मिलते है! अचानक धन लाभ मिलता है नौकरी नहीं मिल रही हो या अच्छे पद की चाहत हो तो भी राहु दिलवाता है, राजनिति में भी सफलता मिलती है ! अगर कोई ऐसी बीमारी हो जो आपको समझ नहीं आ रही तो न पहने ! अगर राहु कुंडली में 2,7,8,12 में हो तो न पहने! अगर आपने गोमेद पहना है और आपको आलस आता है , साथ ही आप निरणय लेने में असमर्थ है और समाज में अपनी पहचान नहीं बना पा रहे है, आप हमेशा खुद को दोहरे राह पर खडा पाते है तो आपको गोमेद धारण नहीं करना चाहिए! किसी से राय ले कर ही अच्छा रत्न धारण करे !

लहसुनिया: यह बिल्ली की आँख की तरह होता है इसमे एक दुधिए रंग की धार होती है जो रत्न को घुमाने से घूमती हुई प्रतीत होती है! यह केतु ग्रह के लिए पहना जाता है ! यह भी राहु की तरह छाया ग्रह है ,अगर यह रत्न रास आ जाए तो तर्क बुद्धि, ग्यान वैराग्य और कल्पना की गजब शक्ति मिलती है, मानसिक आवसाद बेवजह का वहम और डर दुर होता है! व्यवसाय में सफलता मिलती है ! अगर आप किसी गहन शोध में है या आपको अध्यात्मिक शक्ति की प्रप्ति चाहिए तो यह रत्न अवश्य धारण करे! अगर कुन्डली मे केतु 2,7,8,12 भाव मे हो तो यह रत्न ने पहने अगर आपने पहना हुआ है और यह रास नहीं आ रहा तो आपको मानसिक शांति नहीं मिलती होगी, पैरो मे दर्द होगा, संतान से सुख नहीं मिलरहा, आपको नुक्सान हो रहा हो, आपके शत्रु परेशान कर रहे हो, नकारतमक सोच रहती हो तो यह रत्न नहीं पहनना चाहिए! ये रत्न ऐसा है की आपको संसारिक मोह माया से दुर करता है, मोक्ष की तरफ ले जाता है, सरकारी परेशानी से निकालता है, त्वचा के रोगो से बचाता है, कोई अनचाहा ड़र आपको परेशान कर रहा हो तो वह भी दूर करता है! ऊलटे सपने नहीं आते! आप एक जगह टिक कर काम करना सीख जाते है, आपका मन भी सिथर रहता है और भ्रमित भी नहीं रहते! इसलिए रत्न पह्ने पर अच्छी तरह देख परख कर्।

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