कार्तिक मास में पूजा-पाठ और भगवान के नामों का जाप करने का महत्व
कार्तिक मास हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और शुभ महीना माना गया है। यह मास भगवान विष्णु, भगवान कृष्ण और माता लक्ष्मी की उपासना के लिए विशेष रूप से फलदायक बताया गया है। यह महीना भक्ति, साधना और आत्मशुद्धि का प्रतीक भी है। शास्त्रों में कहा गया है कि कार्तिक मास में किया गया एक छोटा-सा पुण्य कर्म भी अनंत गुना फल देता है।
इस साल कार्तिक मास 8 अकतूबर 2025(बुधवार) से प्रारंभ होकर 5 नवंबर 2025(बुधवार) तक रहेगा।
इस मास में प्रातःकाल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर गंगा या अन्य किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करना नही तो घर पर ही स्नान कर भगवान की पूजा और नामों का स्मरण अत्यंत शुभ माना गया है।
घर में दीप प्रज्वलित कर तुलसी पूजन, दीपदान, विष्णु सहस्रनाम या श्री हरि के नामों का स्मरण “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”, “हरे कृष्ण” या “राम” नाम का जाप करने से मन और आत्मा दोनों शुद्ध होते हैं।
कार्तिक मास में भगवद्गीता, श्रीमद्भागवत महापुराण, रामचरितमानस जैसे पवित्र ग्रंथों का पाठ करना ज्ञान और मोक्ष प्राप्ति मे सहायक होता है।
धर्मग्रंथों का अध्ययन व्यक्ति को सत्य, करुणा, संयम और भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
भगवान के नाम का स्मरण सर्वश्रेष्ठ साधना मानी गई है।
“हरिनाम संकीर्तन” या “नामस्मरण” से मन में शांति, घर में सुख-समृद्धि और आत्मा में पवित्रता आती है।
कहा गया है— "हरेर् नाम हरेर् नाम हरेर् नामैव केवलम्।
कलौ नास्त्येव नास्त्येव नास्त्येव गतिरन्यता॥"
(ब्रह्म वैवर्त पुराण)
अर्थात् — कलियुग में केवल भगवान का नाम ही मुक्ति का साधन है; अन्य कोई उपाय नहीं।
अतः यदि आप किसी कारणवश या समय के अभाव के कारण इन धार्मिक पुस्तकों/ ग्रंथों आदि का पाठ करने में असमर्थ है तो यह प्रयास करे कि इस कार्तिक मास में
हर दिन भगवान का स्मरण करें, नामजप करें,
और धर्म के मार्ग पर चलकर अपने जीवन को पवित्र बनाएँ।
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