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ज्योतिष, आस्था और वैदिक उपाय: भारतीय विध्या भवन में अब तक बहुत से लेख ज्योतिष और उपायो को लेकर लिखे गए है जिसमे बहुत कम रूप में सच्ची घटनाए हमारे सामने आई है | मै भारतीय विध्या भवन में कर्नल अशोक गौड़ के सानिध्य मै पिछले 4 वर्षो से शोध कर रहा हु | मै आपके सामने एक सच्ची आस्था और घटना को प्रकाशित करना चाहता हूँ | ये घटना एक जातक के जन्म से जुड़ी हुई है जोकि उस समय से प्रारम्भ होती है जब जातक अपनी माता के गर्भ में ही था |
सबसे पहले जातक की माता की कुंडली पर कुछ प्रकाश डालते है- 12-04-1987, 07:30 प्रातः पिलखुवा में हुआ |
कुंडली का लग्न मेष है और लग्नेश दूसरे घर में है और दशमेश और एकादशेश शनि से द्रष्ट भी है लग्नेश बली है | लग्नेश पंचम और नवम को भी देखता है जोकि एक अच्छा योग है जो दर्शा रहा है कि जातिका अपनी बुद्धि और मेहनत के बल पर अपना भाग्य उदय करेगी | नवमांश में भी मंगल छठे घर में है और नवमांश का लग्नेश भी है और फिर से लग्न और नवम को देख रहा है | जातिका पेशे से वाणिज्य एवं अर्थशास्त्र की अध्यापिका है | जातिका का विवाह 03-जून-2013 को हुआ और उस समय जातिका को राहू में शनि कि अंतरदशा चल रही थी जोकि सभी तरह से पंचम और पंचमेश से जुड़ी हुई है जो ये दर्शा रही है कि जातिका को विवाह के पश्चात संतान होगी |
राहू और शनि कुंडली के 12 वे और 8 वे घर में है और पंचमेश और संतान कारक गुरु 12 वे घर में है और राहू – केतू अक्ष पर भी जो ये दर्शा रही है कि जातिका को संतान प्राप्ति में बाधा तो आएंगी | जातिका को अगस्त 2013 में गर्भ धारण हुआ और 2 माह के बाद उसको किसी परेशानी के कारण गर्भपात भी हुआ | गुरु से पंचम चंद्र भी छठे घर में राहू-केतू अक्ष में है अतः परेशानी तो होनी ही थी | और शनि और मंगल जोकि दोनों पाप गृह है उनकी द्रष्टि भी पंचम भाव पर ही है | कुंडली में सभी गृह पंचम भाव और पंचमेश से जुड़ी हुए है | उस घटना के बाद जातिका को “दुर्गासप्तशती” में से “देव्या कवचम” का रोजाना पाठ करने की मैंने सलाह भी दी जोकि जातिका ने बिना किसी अवरोध के निरंतर शुरू भी किया | फिर 20 जनवरी 2014 को जातिका ने फिर से गर्भ धारण किया जोकि उसकी माता रानी के प्रति असीम श्रद्धा का एक फल भी था | उस समय जातिका को राहू/शनि/शुक्र या सूर्य की दशा चल रही थी जोकि संतान का वादा निभा रही है | उस समय पर शनि-गुरु-मंगल-सूर्य का गोचर भी पंचम-पंचमेश और नवम-नवमेश से था |
तीन माह के बाद जब जातिका का पराध्वनिक चित्रण (ultrasound) कराया गया तो जातिका की संतान पूर्ण रूप से स्वास्थ्य दिखाई दी | जातिका 9 माह तक डॉक्टर के मार्गदर्शन में रही और लगातार 9 माह तक जातिका ने देवी कवच का पाठ भी जारी रखा | डॉक्टर के द्वारा दे गयी तारीख 23 सितम्बर 2014 थी | और 21 सितम्बर 2014 को प्रातः 11 बजे जातिका को अस्पताल में भर्ती कराया गया | उस दिन चंद्र का गोचर पंचम भाव में आने ही वाला था | अगले दिन 22 सितम्बर 2014 को जातिका की प्रसव पीड़ा बढ्ने लगी और वो प्रसव पीड़ा इतनी अधिक थी की जातिका के लिए असहनीय स्थिति बन रही थी | उस समय पर जातिका को राहू-शनि-राहू की दशा थी और तीनों गृह 6,8,12 से संबन्धित थे जोकि प्रसव पीड़ा को बढ़ा रहे थे | शाम को 6 बजकर 33 मिनट पर जातिका को अत्याधिक प्रसव पीड़ा के बाद पुत्र की प्राप्ति हुई | लेकिन जातिका का पुत्र जन्म के 2 मिनट के बाद तक भी रोया नहीं था जोकि डॉक्टर के लिए सोचनीय बात थी और जातक को तुरंत नर्सरी में भर्ती भी कराया गया |
अब हम जातक की कुंडली पर कुछ प्रकाश डालते है :- जातक का जन्म 22 सितम्बर 2014 को शाम 6 बजकर 33 मिनट पर हापुड़ में हुआ |
जातक का जन्म मीन लग्न में हुआ है और लग्नेश पंचम में उच्च का है जोकि पूर्व पुण्य के कुछ कर्मो को दर्शा रहा है | जातक का जन्म शुक्र-चंद्र-राहू में हुआ |
अरिष्ट योग :- शुक्र मीन लग्न के लिए अष्टमेश है और चंद्र जोकि अंतर्दशा नाथ है और बल अरिष्ट के लिए भी देखा जाता है उसके साथ छठे घर में है और राहू छठे घर के मालिक सूर्य के साथ सप्तम(मारक) स्थान में बैठा है | तीनों दशाओ के मालिक बाल अरिष्ट दर्शा रहे है जिसके कारण जातक को जन्म के तुरंत बाद नर्सरी में रखा गया |
हमारे गुरु कर्नल अशोक कुमार गौड़ हमेशा कहते है कि किसी बच्चे कि कुंडली को देखने के बाद उसमे अरिष्ट के साथ साथ अरिष्टभंग को भी ज़रूर देखे क्योकि लगभग सभी कुंडली में अरिष्ट के योग दिखाई दे जाते है जोकि “आयुनिर्णय” कि पुस्तक में 66 प्रकार के है |
उन्होने दुर्गासप्तशती में देविककवच , एक श्लोक एवं देवी का ध्यान करने के लिए कहा जोकि निम्न प्रकार है :-1. “गोत्रमिंद्राणी में रक्षेत पशुन्मे रक्ष चंडिके |
पुत्राण रक्षेन महालक्ष्मीभार्या रक्षतु भैरवी” ||
इस मंत्र का अर्थ है कि – इंद्राणी – आप मेरे गोत्र की रक्षा करे | चंडिके – तुम मेरे पशुओ की रक्षा करे | महालक्ष्मी पुत्रो की रक्षा करे | और भैरवी पत्नी की रक्षा करे |
इस मंत्र का अर्थ है कि – मै कमल के आसन पर बैठी हुई प्रसन्न मुखवाली महिषासुरमर्दिनी भगवती महालक्ष्मी का भजन करता हु | जो अपने हाथ मै अक्षमाला , फरसा , गदा , बाण , वज्र , पदम , धनुष , कुंडिका , दंड , शक्ति , खड़ग , ढाल , शंख , घंटा , मधुपात्र , शूल , पाश और चक्र धारण करती है |
जातक के माता और पिता ने मंत्रो का जाप और देवी के कवच का जाप का लगातार पाठ किया है और उसका चमत्कारिक रूप से परिणाम जातक के स्वास्थ्य को देखकर पाया गया और जातक 24 सितंबर 2014 को नर्सरी से बाहर आ गया और वर्तमान तक भी जातक पर देवी भगवती की पूर्ण कृपा है | एक बार फिर से ज्योतिष , वैदिक उपायो एवं गुरुओ के मार्गदर्शन के कारण जातक ने अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त किया |
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