सावन सोमवार व्रत और शुभ तिथिया

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  • 9th Jul 2023

सावन सोमवार व्रत और शुभ तिथिया

श्रावण 2023 - सोमवार व्रत और शुभ तिथिया 

श्रावण मास या सावन का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है हिंदू कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास वर्ष का पांचवा महीना है। और अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास जुलाई या अगस्त में आता है। श्रावण या सावन का संबंध वर्षा ऋतु से है, यह नाम सुनते ही या पढ़ते हैं हमारे मस्तिष्क में प्राकृतिक हरियाली झूले पारंपरिक लोकगीत इत्यादि आते हैं। क्योंकि इस माह में वर्षा का आगमन होते रहने से चारों तरफ हरियाली छा जाती है। इस महीने में पूर्णिमा पर श्रवण नक्षत्र होता है। इसलिए इसे श्रावण कहा जाता है।

श्रावण मास भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है ऐसी मान्यता है कि देवी पार्वती ने श्रावण मास में ही कठिन तपस्या और व्रत करके भगवान शिव को प्रसन्न किया था और उनसे विवाह किया था। एक दूसरी मान्यता के अनुसार श्रावण मास में ही समुद्र मंथन से निकला हलाहल विष भगवान शिव ने पीकर अपने कंठ में धारण किया और संपूर्ण सृष्टि की रक्षा की। ऐसा करने से उनका कंठ नीला पड़ गया और उन्हें नीलकंठ के नाम से जाना गया उसी विष के कारण भोलेनाथ के शरीर में हुई तपन और जलन को शांत करने के लिए सभी देवी देवताओं ने उनका जलाभिषेक किया। तभी से शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है। इन सभी कारणों से भगवान शिव और माता पार्वती की उनके परिवार सहित पूजा आराधना करने का विशेष महत्व है।

 

वैसे तो सावन के महीने का हर दिन विशेष है सप्ताह के सातों दिनों में प्रत्येक दिन ही भोलेनाथ की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। फिर भी सावन में सोमवार और मंगलवार के व्रत उपवास वह पूजा-पाठ विशेष फलदाई है। सावन का सोमवार व्रत भगवान शिव व मंगलवार माता पार्वती को समर्पित है। सावन के मंगलवार के व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है। यह व्रत महिलाओं के द्वारा किया जाता है।

श्रावण मास में शिव महापुराण के साथ-साथ रामचरितमानस व राम नाम संकीर्तन का भी विशेष महत्व है।

2023 का श्रावण 2 माह का होगा। ऐसा विशेष संयोग लगभग 19 साल बाद बन रहा है। कि श्रावण मास लगभग 2 महीने का होगा जो कि 4 जुलाई 2023 से शुरू होकर 31 अगस्त 2023 तक होगा। इसका मुख्य कारण मलमास या अधिक मास का सावन मास के साथ होना है।

 

मलमास /अधिक मास

प्रत्येक सौर कैलेंडर में 365 दिन में 6 घंटे होते हैं चंद्र कैलेंडर में 354 दिन होते हैं इस प्रकार दोनों के 1 वर्ष में लगभग 11 दिनों का अंतर होता है यह अंतर हर 3 साल बाद चंद्र कैलेंडर में एक अतिरिक्त मास जोड़कर किया जाता है। इस तरह हर 3 साल बाद एक अधिक मास होता है। जो दोनों प्रकार के कैलेंडर के बीच संतुलन बनाता है। इसी अधिक मास को मलमास किया पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं।

यह अधिक मास इस वर्ष श्रावण मास के साथ आ रहा है। अधिक मास को मलमास इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसे मलिन माना गया है। और इस मास में कोई भी मांगलिक कार्य जैसे नामकरण विवाह यज्ञोपवीत गृह प्रवेश आदि नहीं किए जाते।

 

श्रावण मास /अधिक मास: प्रारंभ और समापन

वर्ष 2023 में श्रावण मास का प्रारंभ 4 जुलाई मंगलवार से होकर, समापन 31 अगस्त वीरवार को होगा। यह सावन माह 59 दिनों का है समापन 19 वर्ष बाद बनने वाला यह दुर्लभ संयोग है कि श्रावण में अधिक मास का समायोजन हो रहा है। अधिक मास 18 जुलाई से शुरू और 16 अगस्त को समाप्त होगा इस प्रकार सावन में भक्तों को भगवान शिव के साथ-साथ भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होगी।

पुरुषोत्तम मास में श्री हरि विष्णु जी की आराधना के लिए विष्णु जी का मूल मंत्र 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः' के जाप के अतिरिक्त विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना और सुनना अति कल्याणकारी है।

4 जुलाई से 17 जुलाई तक प्रथम शुद्ध सावन कृष्ण पक्ष रहेगा। 18 जुलाई से 1 अगस्त तक प्रथम अधिक मास शुक्ल पक्ष और 2 अगस्त से 16 अगस्त तक द्तीय अधिक मास कृष्ण पक्ष रहेगा।

17 अगस्त से 31 अगस्त का समय द्वितीय शुद्ध श्रावण शुक्ल पक्ष का होगा। इस प्रकार से इस साल का श्रावण लगभग 2 महीने का हो जाएगा।

2 महीने के सावन में 8 सावन सोमवार व्रत और 9 मंगला गौरी व्रत होंगे।

 

सावन /अधिक मास सोमवार व्रत

पहला सोमवार(श्रावण) - 10 जुलाई 2023

दूसरा सोमवार(श्रावण) - 17 जुलाई 2023

तीसरा सोमवार(अधिकमास) - 24 जुलाई 2023

चौथा सोमवार(अधिक मास) - 31 जुलाई 2023

पांचवा सोमवार(अधिक मास) - 7 अगस्त 2023

छटा सोमवार(अधिक मास) - 14 अगस्त 2023

सातवां सोमवार(श्रावण) 21 - अगस्त 2023

आठवां सोमवार(श्रावण) 28- अगस्त 2023

 

श्रावण /सावन सोमवार व्रत

श्रावण मास के हर सोमवार को शिवलिंग का रुद्राभिषेक और जलाभिषेक करने पर भक्तों के सभी कष्टों का नाश होता है। और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है जीवन में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है स्वास्थ्य लाभ प्रदान होता है।

 

सोमवार व्रत/ पूजन विधि

1- सुबह स्नान आदि से निवृत होकर दाहिने हाथ में जल लेकर सावन के सोमवार व्रत का संकल्प लें।

2- सर्वप्रथम प्रथम पूज्य गणेश जी को नमन करें। जल,पुष्प, दूर्वा आदि अर्पित करें।

3- तत्पश्चात भगवान शंकर का उनके परिवार सहित जलाअभिषेक करें। ओम नमः शिवाय का जाप करें।

4- इसके अतिरिक्त महामृत्युंजय मंत्र का जाप, शिव रुद्राष्टकम स्त्रोत्र, शिव महापुराण आदि का पाठ करना भी अत्यंत कल्याणकारी है।

5- भोलेनाथ को अक्षत, सफेद फूल, सफेद चंदन, धतूरा, बेलपत्र, शमी पत्र व फूल, पंचामृत, सुपारी, भांग आदि चढ़ाएं।

6- सोमवार व्रत की कथा पढ़ें व आरती करें।

7- भगवान शिव को भोग में घी,चीनी फल का भोग लगाएं।

 

सावन शिवरात्रि

श्रावण शिवरात्रि श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। जो कि 15 जुलाई रात 8:32 से प्रारंभ होकर 16 जुलाई रात 10:08 तक होगी।

किस दिन, क्या अर्पित करें भोलेनाथ को?

सोमवार - कच्चा दूध, भांग, धतूरा, बेलपत्र, पंचामृत

मंगलवार - सफेद चंदन

बुधवार - हरी मूंग की दाल

वीरवार - केले, पीली चना दाल

शुक्रवार - चावल, गन्ने का रस, इत्र

शनिवार - काले तिल, सरसों का तेल

रविवार - पानी में गुड़ मिलाकर

ऐसा करने से प्रत्येक दिन के स्वामी की कृपा बनी रहती है।

इसके अतिरिक्त संतान प्राप्ति के लिए रविवार व सोमवार को गेहूं के दाने भी भगवान शिव को अर्पित करें।

हम सभी जानते हैं कि श्रावण मास में शिवजी की आराधना का विशेष महत्व है। सावन में सभी शिव मंदिरों व शिवालयों में भक्तों की भीड़ लगी रहती है परंतु भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का विशेष महत्व माना गया है। इनमें से किसी एक का भी दर्शन सावन के महीने में करने से जन्म जन्मांतर के कष्टों से मुक्ति मिलती है और भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

इन ज्योतिर्लिंगों की पूजा का फल बताते हुए नंदीश्वर कहते हैं कि इन विशेष ज्योतिर्लिंगों में पूजा करने से रोगों का नाश होता है। सभी मनोकामना की पूर्ति होती है और अंत में भक्त उत्तम गति को प्राप्त करते हैं।

 

भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग

1- सोमेश्वर (सोमनाथ) महादेव सौराष्ट्र (गुजरात), में स्थित सोमनाथ महादेव भारत की सांस्कृतिक एकता का प्रतीक तथा प्रथम ज्योतिर्लिंग है। प्रतिवर्ष श्रावण की पूर्णिमा, शिवरात्रि तथा सूर्य ग्रहण के अवसरों पर यहां भारती मेला लगता है। सोमेश्वर कुंड में स्नान करने तथा ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजा से सब प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है।

2- मल्लिकार्जुन महादेव श्रीशैल पर स्थित यह द्वितीय ज्योतिर्लिंग है। यह 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ भी है। यह क्षेत्र आंध्र प्रदेश में है। इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से धन-धान्य की वृद्धि, प्रतिष्ठा, आरोग्य और अन्य मनोकामना की प्राप्ति होती है।

3- महाकालेश्वर महादेव मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थान पर स्थित यह तीसरा ज्योतिर्लिंग है। यह स्थान सातों पुरियों में से एक भी कहा जाता है। महाकालेश्वर में प्रातः काल होने वाली भगवान महाकाल की भस्म आरती विश्व प्रसिद्ध है। महाकाल के दर्शन मात्र से ही अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता है।

4- ओंकारेश्वर महादेव यह ज्योतिर्लिंग भी मध्य प्रदेश में स्थित है इसी क्षेत्र में गोकर्ण महाबलेश्वर लिंग अमलेश्वर का मंदिर और क्षेत्र खंभों वाला सिद्धनाथ मंदिर है इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से भक्तो को भक्ति तथा मुक्ति मिल जाती है।

5- केदारनाथ महादेव 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक बार नाथ महादेव लगभग 11500 फीट की ऊंचाई पर एक पर्वतीय क्षेत्र है यहां की यात्रा मई के प्रथम सप्ताह से शुरू होकर दीपावली तक समाप्त हो जाती है ऐसी मान्यता है कि केदारेश्वर के दर्शन से स्वप्न में भी दुख प्राप्त नहीं होता और व्यक्ति आवागमन के बंधन से मुक्त हो जाता है।

6- भीमाशंकर महादेव भीमेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे जिले में सहयाद्री नामक पर्वत पर स्थित है और वहां से विमानन की नदी निकलती है भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग प्रदर्शन और जलाअभिषेक से भक्तों के सब दुख दूर होते हैं और मनोरथ सिद्ध होते हैं।

7- काशी स्थित विश्वनाथ महादेव उत्तर प्रदेश के वाराणसी या काशी का तीर्थ के रूप में महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसी मान्यता है कि कहीं भी गति ना पाने वाले प्राणियों की वाराणसी पुरी में गति हो जाती है। काशी में प्राण त्याग करने पर पुनर्जन्म नहीं होता तथा व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त होता है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने से व्यक्ति के सभी दुष्कर्म और पापों का नाश होता है और व्यक्ति को सद्गति प्राप्त होती है।

8- त्रयंबकेश्वर महादेव यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है मुख्य मंदिर के अंदर एक साथ तीन छोटे-छोटे शिवलिंग है जो ब्रह्मा विष्णु महेश इन तीनों देवों के प्रतीक कहे जाते हैं। ऐसा कहा जाता है गंगा जी में स्नान कर इस ज्योतिर्लिंग की पूजा करने व दर्शन करने मात्र से प्राणी का उद्धार होता है।

9- श्री बैद्यनाथ धाम झारखंड स्थित श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग भी 12 ज्योतिर्लिंगों और 51 शक्तिपीठों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि श्री बैद्यनाथ धाम के दर्शन करने से व्यक्ति को सभी रोगों व कष्टों से मुक्ति मिलती है।

10- नागेश्वर महादेव गुजरात के बड़ौदा जिले में द्वारका के निकट स्थित श्री नागेश्वर महादेव ज्योतिर्लिंग है।भगवान शिव को नागों का राजा या नागों का ईश्वर भी कहा जाता है इसीलिए इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर महादेव है। सभी मनोकामना और कष्टों को दूर करने वाला नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का बहुत महत्व है।

11- रामेश्वरम महादेव चारों धामों में से एक धाम रामेश्वर महादेव विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग है। तमिलनाडु में स्थित यह ज्योतिर्लिंग भगवान श्री राम द्वारा निर्मित है। इसी कारणवश इस ज्योतिर्लिंग का नाम रामेश्वर महादेव पड़ा। रामेश्वर महादेव के दर्शन और जलाभिषेक से ब्रह्महत्या जैसे महान पाप भी नष्ट हो जाते हैं और व्यक्ति जीवन मुक्त हो जाता है।

12- घुश्मेश्वर महादेव यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के दौलताबाद के निकट स्थित है। विश्व प्रसिद्ध अजंता एलोरा की गुफाएं भी घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग के निकट ही है। शिवालय कहा जाने वाला यह ज्योतिर्लिंग भक्तों के लिए अत्यंत कल्याणकारी है।

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