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चैत्र नवरात्रि 2024: नवरात्रि मां दुर्गा के नौ रूप की आराधना का महापर्व है नवरात्रि में माँ दुर्गा के विभिन्न नौ रूप की विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
नवरात्रि की नौ दिनों में मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की उपासना करके विशेष फल प्राप्त किया जा सकता है।
इन रातों में तीन देवियों - देवी पार्वती, देवीलक्ष्मी और देवी सरस्वती के नौ रूपों की पूजा की जाती है जिन्हें नवदुर्गा कहते हैं। देवी दुर्गा के नौ रूप है - शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता ,कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री।
ऐसी मान्यता है कि मां इन 9 दिनों में स्वर्ग से धरती पर रहने आती है। चैत्र नवरात्रि के पहले 3 दिनों में ऊर्जा और कर्म की देवी मां पार्वती की आराधना की जाती है। अगले 3 दिन धन की देवी महालक्ष्मी को समर्पित हैं और अंतिम 3 दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की आराधना की जाती है। नवरात्र में भक्तगण उपवास रखकर मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना करते हैं और मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं।
चैत्र नवरात्रि शुक्ल प्रतिपदा से ही हिंदू नव वर्ष नव संवत्सर भी प्रारंभ हो रहा है प्रथम नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 मंगलवार को हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2081 का आरंभ होगा।
इस प्रकार हिंदू नव वर्ष का आगमन चैत्र नवरात्रि से मां दुर्गा की पूजा व आराधना से होता है। इस दिन भक्तगण घट स्थापना करके मां आदि शक्ति से सुख समृद्धि की प्रार्थना करते हैं।
चैत्रनवरात्रि के पहले पांच दिनों में इस वर्ष खरमास भी रहेगा। 14 मार्च से शुरू हुआ खरमास 13 अप्रैल तक चलेगा। इस तरह नवरात्रि के पहले 5 दिन 9 अप्रैल से लेकर 13 अप्रैल तक चैत्र नवरात्रि के साथ-साथ खर मास भी होने के कारण मांगलिक कार्य नहीं हो सकेंगे।
धार्मिक मान्यता के अनुसार खरमास में किसी भी प्रकार का शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाता। अगर किया जाए तो शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती।
कौन से मांगलिक कार्य नवरात्रि के पहले 5 दिन खरमास होने के कारण ना करें?
13 अप्रैल को खरमास समाप्त होने के बाद 14 अप्रैल के नवरात्रि से आप मांगलिक और शुभ कार्य कर सकते हैं।
चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल 2024 को रात 11 बजकर 50 मिनट से आरंभ होकर 9 अप्रैल 2024 को रात 08 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ होगा।
चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 से 17 अप्रैल 2024 तक चलेंगे. नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना कर 9 दिन के व्रत शुरू होते है। इस दिन हिंदू नव वर्ष नव संवत्सर 2081, महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा और आंध्र प्रदेश-कर्नाटक में उगादी का पर्व भी मनाया जाता है।
नवरात्रि में घटस्थापना के लिए इस साल चैत्र नवरात्रि में निम्नलिखित शुभ मुहूर्त बन रहे हैं
सुबह 06.02 बजे से सुबह 10.16 बजे तक (अवधि- 4 घंटे 14 मिनट)
अभिजित मुहूर्त - सुबह 11.57 बजे से दोपहर 12.48 बजे तक (अवधि-51 मिनट)
घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं मां दुर्गा
देवी भागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा के आगमन और प्रस्थान के दौरान वाहन का विशेष महत्व होता है। इस बार नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार से हो रही है और जब नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार से होती है तो माता का वाहन घोड़ा होता है। घोड़े पर सवार होकर माता रानी का धरती पर आगमन शुभ नहीं माना जाता है।
नवरात्रि में माता का आगमन घोड़े पर होता है तो समाज में अस्थिरता, तनाव अचानक बड़ी दुर्घटना, भूकंप चक्रवात, सत्ता परिवर्तन, युद्ध आदि की स्थिति उत्पन्न होने की संभावना होती है।
ऐसे में इस नवरात्रि में माता की पूजा आराधना के साथ-साथ मां भगवती से क्षमा याचना भी करें । क्षमा प्रार्थना करने से माता प्रसन्न होंगी और शुभ फल प्रदान करेंगी।
चैत्र नवरात्रि तिथियाँ
पहला दिन:- 9 अप्रैल 2024 मंगलवार प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना मां शैलपुत्री पूजा।
दूसरा दिन:- 10 अप्रैल 2024 बुधवार द्वितीया तिथि मां ब्रह्मचारिणी पूजा।
तीसरा दिन:- 11 अप्रैल 2024, वीरवार तृतीया तिथि मां चंद्रघंटा पूजा।
चौथा दिन:- 12 अप्रैल 2024 शुक्रवार चतुर्थी तिथि मां कूष्मांडा पूजा।
पांचवां दिन:- 13 अप्रैल 2024 शनिवार पंचमी तिथि मां स्कंदमाता पूजा।
छठा दिन:- 14 अप्रैल 2024 रविवार षष्ठी तिथि मां कात्यायनी पूजा।
सातवां दिन:- 15 अप्रैल 2024 सोमवार सप्तमी तिथि मां कालरात्रि पूजा।
आठवां दिन:- 16 अप्रैल 2024 मंगलवार अष्टमी तिथि मां महागौरी पूजा।
नौवां दिन:- 17 अप्रैल 2024 बुधवार नवमी तिथि मां सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी
नवरात्रि के आठवें दिन दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है और मां महागौरी की पूजा होती है। इस बार चैत्र शुक्ल की अष्टमी तिथि 15 अप्रैल 2024 को दोपहर 12.11 मिनट से शुरू होगी और 16 अप्रैल 2024 को दोपहर 01.23 पर समाप्त होगी। ऐसे में चैत्र नवरात्रि में दुर्गाष्टमी 16 अप्रैल 2024 मंगलवार को मनाई जाएगी।
चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि 16 अप्रैल को दोपहर 01.23 से शुरू होकर 17 अप्रैल 2024 को दोपहर 03.14 तक रहेगी। ऐसे में नवरात्रि की महानवमी 17 अप्रैल 2024 बुधवार को मनाई जाएगी। इस दिन देवी की नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। साथ ही इसी दिन नवरात्रि व्रत का पारण भी किया जाता है। चैत्र नवरात्रि की महानवमी पर राम नवमी यानी प्रभु श्रीराम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है।
नवरात्रि के 9 दिनों में भगवती दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है। मां दुर्गा के नौ स्वरूप है - शैलपुत्री ,ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा ,कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी ,कालरात्रि ,महागौरी और सिद्धिदात्री
ऐसी मान्यता है कि यदि मां के इन स्वरूपों की आराधना में इन 9 रंगों का क्रम अनुसार प्रत्येक नवरात्रि में प्रयोग किया जाए तो विशिष्ट फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के रंगों का क्रम इस प्रकार है
प्रतिपदा - पीला
द्तीया - हरा
तृतीया - स्लेटी या धूसर
चतुर्थी - नारंगी
पंचमी - सफेद या श्वेत
षष्टि - लाल
सप्तमी - शाही नीला
अष्टमी - गुलाबी
नवमी - बैंगनी या जामुनी
नवरात्रि में भक्तगण प्रत्येक दिन के रंग के अनुसार वस्त्र धारण करें तो अति उत्तम होगा।
1. प्रातकाल जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2. सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश जी को नमस्कार करें और फिर उनकी आराधना करनी चाहिए।
3. मां की प्रतिमा को लाल वस्त्र, चुनरी आदि पहनाएं और मां का श्रृंगार करें।
4. शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करें।
5. कलश को गंगाजल से भर ले तथा लाल कपड़े से ढककर कलावे से बांध दें इसके पश्चात कलश के मुख पर आम की पत्तियां रखें तथा नारियल इन पत्तियों के ऊपर रख दें।
6. इसके साथ ही मिट्टी का बर्तन रखकर उसमें जौ बो दें तथा उन पर अष्टमी/नवमी तक पानी का छिड़काव करे।
7. मां के समक्ष जोत जगा कर , कपूर, धूप, अगरबत्ती, तथा भोग सामग्री रखकर मंत्रों पचार से पूजा करें।
8. प्रत्येक नवरात्रि को मां दुर्गा के स्वरूप से संबंधित मंत्र का जाप करें दुर्गा सप्तशती का पाठ करना सर्वोत्तम माना गया है।
9. अष्टमी /नवमी को कन्या पूजन करें जिसमें कन्याओं को विभिन्न प्रकार की भोजन सामग्री जैसे हलवा, पूरी, चने, खीर, मिठाई आदि खिलाएं तथा उन्हें विभिन्न उपहार आदि देकर विदा करें।
1. किसी भी प्रकार की गंदगी घर में रहने ना दे नवरात्रि प्रारंभ होने से पहले ही साफ सफाई कर लेनी चाहिए।
2. नवरात्रि के दौरान मांस मदिरा, तामसिक भोजन, तंबाकू आदि का बिल्कुल भी सेवन व प्रयोग ना करें इससे अशुभ फलों की प्राप्ति होती है।
3. नवरात्रि में गहरे रंग जैसे गहरे नीले, बैंगनी, काले या कालापन लिए हुए वस्त्र ना पहने।
4. यदि आपने नवरात्रि में अपने घर में अखंड ज्योति जगाई है तो घर बिल्कुल भी बंद करके ना जाए घर में किसी भी सदस्य को अवश्य होना चाहिए।
5. दुर्गा चालीसा, मंत्र या सप्तशती का पाठ करते समय किसी से बातचीत नहीं करनी चाहिए और ना ही इस बीच में उठना चाहिए।
6. पुराने सूखे पुष्पा या पुष्पों की माला को प्रतिमा अथवा मंदिर से हटाकर प्रतिदिन ताजे पुष्प अर्पित करने चाहिए। पुराने पुष्पों को कूड़ेदान में ना डाल कर किसी नदी या कुएं में प्रवाहित करें। गमले या बगिया की मिट्टी में दबाना वातावरण प्रदूषण से बचाव के लिए उत्तम उपाय हैं।
7. दुर्गा पूजा में दूर्वा, तुलसी और आंवले का प्रयोग वर्जित है।
8. गीले वस्त्रों में भी मां की पूजा नहीं करनी चाहिए।
9. महिलाएं खुले बालों के साथ दुर्गा पूजन ना करें।
10. सूतक में घट स्थापना व मूर्ति को स्पर्श करना वर्जित माना गया है। ऐसी स्थिति होने पर किसी योग्य पंडित से पूजन करवाना ही अच्छा है।
आप सब को नवरात्रों एवं हिंदू नव वर्ष विक्रम संवत 2081 की बहुत- बहुत शुभ कामनाऐ।
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