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दीपावली महोत्सव हमारे देश भारत में 5 दिनों तक बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। वर्ष 2021 में यह दीपोत्सव मंगलवार 2 नवंबर से प्रारंभ होकर शनिवार 6 नवंबर तक चलेगा। इस दीपोत्सव का प्रारंभ धन त्रयोदशी से होता है। तथा समाप्ति यम द्वितीया यानी भाई दूज पर होती है।
दीपावली महोत्सव के 5 दिन - पांच संदेश
दीपावली महोत्सव के 5 दिन हमें जीवन में काम आने वाले पांच महत्वपूर्ण संदेश देते हैं। यह महोत्सव हमें स्वास्थ्य, मृत्यु, धन, प्रकृति, प्रेम और सद्भाव के महत्व का संदेश देता है।
दीपावली महोत्सव का प्रथम दिन धनतेरस के नाम से जाना जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन समुद्र मंथन के पश्चात भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति हुई थी। इसी कारणवश इस दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी के रूप में भी मनाया जाता है। जैसा कि हम सभी जानते हैं जीवन में किसी भी प्रकार की सुख की अनुभूति तभी होती है जब हम स्वस्थ और निरोग रहे इसी कारणवश आरोग्य के देवता भगवान धन्वंतरि की पूजा दीपोत्सव के प्रथम दिन की जाती है। ऐसी मान्यता है कि समुद्र मंथन के पश्चात भगवान धन्वंतरि जब अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। तब उनके साथ विभिन्न प्रकार के बहुमूल्य रत्न और आभूषण भी समुद्र से प्रकट हुए थे। इसी कारणवश इस दिन को धनतेरस भी कहते हैं। धनतेरस के दिन सोने चांदी की वस्तुएं खरीदने की प्रथा चली आ रही है।
धन्य तेरस या ध्यान तेरस | जैन धर्म
कुछ समय से धनतेरस को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाने लगा है। जैन धर्म के अनुयाई धनतेरस को धन्य तेरस या ध्यान तेरस भी कहते हैं क्योंकि इस दिन भगवान महावीर ध्यान में लीन हुए थे और 3 दिन पश्चात यानी दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए थे।
धनतेरस के दिन बन रहा है शुभ संयोग
धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है ज्योतिष शास्त्र में ऐसी मान्यता है कि इस योग में जो भी कार्य किए जाते हैं उसका तिगुना फल प्राप्त होता है अतः इस युग में किसी भी प्रकार का बुरा या अनुचित कार्य ना करके यथासंभव शुभ व अच्छे कार्य करने चाहिए जिससे शुभ कार्यों का भी तीन गुना फल प्राप्त होगा
इस समय किया गया कोई भी निवेश आपको लाभ अर्जित करवाएगा त्रिपुष्कर योग में खरीदारी करना अत्यंत शुभ होता है
धनतेरस पर भोम प्रदोष व्रत भी है इसलिए इस दिन भगवान शिव और हनुमान जी की पूजा आराधना करना बहुत ही शुभ और श्रेष्ठ है
इस दिन बुध ग्रह का गोचर तुला राशि में होगा इसे बुध की संक्रांति भी कहा जाता है बुध ग्रह और तुला राशि दोनों का योग व्यापार और कारोबार की दृष्टि से बहुत ही अच्छा माना जाता है अतः इस वर्ष धनतेरस के दिन बुध के गोचर को कारोबारियों के लिए बहुत शुभ माना जा रहा है
कब की है धनतेरस
वर्ष 2021 में धनतेरस का त्यौहार 2 नवंबर 2021 मंगलवार को मनाया जाएगा
कब करे धनतेरस की पूजा
गोधूलि मुहूर्त शाम 5:05 से 5:29 तक
प्रदोष काल 5:35 से 8:14 तक
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:42 से 12:26 तक
धनतेरस मुहूर्त शाम 6:18 से 8:14 तक
आप 2 नवंबर को भगवान धन्वंतरि की पूजा, दीप दान, महालक्ष्मी जी का पाठ कर सकते है।
धनतेरस पर क्या खरीदें और क्या ना खरीदे
क्या खरीदना चाहिए धनतेरस पर: धनतेरस पर कुछ वस्तुओं की खरीदारी करना खास तौर पर शुभ माना जाता है। धनतेरस पर मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मुख्य रूप से 5 वस्तुओं में से कोई एक चीज तो अवश्य ही अपने घर पर लेकर आए। ऐसा करने पर आप मां लक्ष्मी की विशेष कृपा के पात्र होंगे।
ये 5 विशेष वस्तुएँ हैं-- मिट्टी के गणेश लक्ष्मी की मूर्तियां और मिट्टी के दिए, गोमती चक्र, शुद्ध चांदी की वस्तुएं, धनिया के बीज और झाड़ू
क्या नहीं खरीदना चाहिए धनतेरस पर
धनतेरस के शुभ अवसर पर कुछ वस्तुओं को कभी नहीं खरीदना चाहिए इन वस्तुओं को खरीदने पर घर में दुर्भाग्य आता है और बरकत नहीं रहती। यह वस्तुएं हैं--
स्टील और अल्युमिनियम के बर्तन, लोहे की वस्तुएं ,धार दार चीजें जैसे चाकू कैंची आदि, प्लास्टिक का सामान, कांच या सिरामिक (चीनी मिट्टी) का समान या बर्तन, किसी भी प्रकार की काले रंग की वस्तु, कोई भी अशुद्ध तेल जैसे रिफाइंड आदि।
वास्तु शास्त्री सुनील मेहतानी के अनुसार वास्तु शास्त्र में ईशान कोण का एक खास महत्व है। ईशान कोण घर का सबसे पवित्र कौन माना जाता है। धनतेरस पर भी पूजा करने से पूर्व ईशान कोण की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
ईशान कोण
ईशान कोण से तात्पर्य घर की उत्तर पूर्व कोने से है। धनतेरस पर ईशान कोण को विशेष रूप से साफ और स्वच्छ बनाने की हर संभव कोशिश करनी चाहिए। ईशान कोण के किसी भी प्रकार से दूषित या अस्वस्थ होने पर आपको अपनी की गई पूजा का फल पूर्ण रूप से नहीं होगा। इसलिए अपने घर के ईशान कोण को हर संभव प्रयास से स्वच्छ और पवित्र रखे।
ईशान कोण के अतिरिक्त अपने घर की उत्तर दिशा और ब्रह्मस्थान का भी विशेष रूप से ध्यान रखें। घर की उत्तर दिशा को भी साफ सुथरा बनाए रखें। ब्रह्म स्थान से तात्पर्य घर के बिल्कुल बीच के स्थान से है। इसका अर्थ है कि घर के बिल्कुल बीच के स्थान पर किसी भी प्रकार का फालतू समान और जूते चप्पल इत्यादि ना रखें। इस स्थान को यथासंभव खाली और साफ सुथरा बनाए रखें इन उपायों से भी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। और अपनी कृपा दृष्टि हमेशा बनाए रखती हैं।
वर्ष 2021 में नरक चतुर्दशी का पर्व 3 नवंबर बुधवार को मनाया जाएगा। दीपावली महोत्सव का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को नरक चौदस या रूप चौदस भी कहते हैं। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को धर्मराज यम की पूजा करके दीपदान किया जाता है। नरक चतुर्दशी हमें यह संदेश देती है कि मृत्यु एक शाश्वत सत्य है। तथा अंतिम गति भी है जो हमेशा याद रखना चाहिए।
धर्मराज यम को याद करते हुए दीपदान करने से असमय मृत्यु के भय से भी मुक्ति मिलती है।
इस दिन सूर्योदय से पूर्व उबटन लगाकर स्नानादि किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने पर रुप तथा सौंदर्य की वृद्धि होती है। इसी कारणवश इस दिन को रूप चौदस भी कहते हैं।
कहते हैं कि नरक चतुर्दशी के दिन ही भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध करके 16,100 कन्याओं को उसके बंदी गृह से मुक्त किया था इसी उपलक्ष में दीए जलाए जाते हैं।
तेल मालिश का समय/ अभ्यंग : सुबह 6:06 से 6:34 तक
पूजा का शुभ मुहूर्त :दोपहर 13:33 से 14:17 तक
कार्तिक माह कृष्ण पक्ष की अमावस्या का दिन दीपावली और लक्ष्मी पूजा के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि धन ऐश्वर्य समृद्धि की देवी महालक्ष्मी का प्रादुर्भाव इसी दिन हुआ था। इसीलिए इस दिन महालक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। शास्त्रों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इसे दिन भगवान राम सीता माता और लक्ष्मण जी के साथ रावण का वध करके तथा 14 वर्ष का वनवास पूरा करके इस दिन अयोध्या वापस आए थे। इसी खुशी में सब देशवासियों ने दीए जलाए थे तभी से यह दिन दीपावली के रूप में मनाया जाता है।
वर्ष 2021 में दीपावली यानी लक्ष्मी पूजा का पर्व 4 नवंबर वीरवार को मनाया जाएगा। माता लक्ष्मी की पूजा करने से पूर्व प्रथम पूज्य देव गणेश जी की पूजा करने का भी विधान है। गणेश जी और लक्ष्मी जी के साथ माता सरस्वती की पूजा भी की जाती है। ऐसी मान्यता है की लक्ष्मी जी की पूजा करने से हमें सुख संपत्ति धन ऐश्वर्य आदि की प्राप्ति होती है। परंतु ऐसे धन की प्राप्ति होने से पूर्व, बुद्धि के देवता गणेश जी तथा ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा इसलिए की जाती है, ताकि हम सद्बुद्धि के साथ ज्ञान पूर्वक धन का उचित प्रयोग कर सकें।
सांयकाल 18:09 से 20:20 तक
प्रदोष काल सांयकाल 17:34:09 से 20:10:27 तक
वृषभ काल 18:10:29 से 20:06:20 तक
दिवाली शुभ चौघड़िया 4 नवंबर 2021 वीरवार
सुबह 6:34:53 से 7:57:17 तक
10:42:06 से दोपहर 14:49:20 तक
सांयकाल 16:11:45 से 20:49:31 तक
रात्रि 12:04:53 से 1:42:34 तक
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि को गोवर्धन पूजा के रूप में मनाया जाता है। गोवर्धन पूजा हमें प्रकृति तथा विभिन्न पशु पक्षियों का महत्व बताती है। ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर उठाकर गांव वासियों की इंद्र देवता के प्रकोप से रक्षा की थी।
इस दिन लोग गाय बैल आदि की पूजा करते हैं मंदिरों तथा विभिन्न स्थानों पर अन्नकूट का आयोजन किया जाता है। जिसका भोग भगवान को अर्पित करके प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। यह दिन विश्वकर्मा पूजा के रूप में भी मनाया जाता है। एक दिन विभिन्न कलाकार तथा कारीगर अपने औजारों तथा उपकरणों की पूजा भी करते हैं। वर्ष 2021 के दीपोत्सव का चौथा दिन इस बार 5 नवंबर शुक्रवार को गोवर्धन पूजा तथा विश्वकर्मा पूजा के रूप में मनाया जाएगा।
सुबह 6:35 से 8:47 तक
सांय काल 3:21 से 5:33 तक
दीपावली महोत्सव का पांचवा दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को यम द्वितीया भी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन धर्मराज यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे उनकी बहन ने अपने भाई का तिलक करके भोजन कराया था। तथा उनकी लंबी उम्र की कामना की थी। तभी से यह त्यौहार भाई दूज के रूप में भी मनाया जाता है।
इस वर्ष 2021 को भाई दूज का पर्व 6 नवंबर शनिवार को मनाया जाएगा भाई दूज का पर्व प्रेम तथा सद्भाव का संदेश देता है।
6 नवंबर 2021 दोपहर 1:10 से 3:21 तक
आपको दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाये
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