पाँचवा नवरात्र - स्कंदमाता पूजा

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  • 20th Oct 2020

पाँचवा नवरात्र - स्कंदमाता पूजा

स्कंदमाता पूजा: नवरात्रि का पांचवा दिन अर्थात पंचमी स्कंदमाता को समर्पित है। इस दिन स्कंदमाता की आराधना की जाती है। भगवान स्कंद यानी कार्तिकेय देवताओं के सेनापति हैं कुमार स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण मां दुर्गा को स्कंदमाता नाम से जाना जाता है।

स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं इन भुजाओं के दो हाथों में माता ने कमल पुष्प पकड़े हुए हैं। दाहिने हाथ की एक भुजा से कुमार कार्तिकेय को संभाला हुआ है। तथा एक हाथ आशीर्वाद मुद्रा में है।

स्कंद माता अपने पुत्र कार्तिकेय के साथ सिंह की सवारी करती हैं।

स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

स्कंदमाता की पूजा के साथ-साथ कुमार कार्तिकेय की पूजा भी की जाती है इन दोनों की पूजा पवित्र भाव तथा श्रद्धा से करने पर भक्तों की संतान संबंधी परेशानियां दूर होती हैं, वंश वृद्धि होती है। घर परिवार में सदैव खुशहाली रहने के साथ-साथ सुख शांति बनी रहती है।

 

कैसे करें स्कंदमाता की पूजा

स्कंदमाता की पूजा करते समय सफेद रंग के वस्त्र पहनना अच्छा माना गया है। इनकी पूजा करते समय कुमकुम, अक्षत तथा चंदन का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

स्कंदमाता को केले का भोग अति प्रिय है अतः स्कंदमाता को केले का भोग अर्पित करें। फिर उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करें।

 

स्कंद माता का पूजन मंत्र

 

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः

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